E-Transport Promotion Scheme के तहत देश के अंदर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी बढ़ाई जाए इसके लिए मिनिस्ट्री आफ हैवी इंडस्ट्री की तरफ से एक नई योजना की घोषणा की गई, ये योजना इलेक्ट्रिक टू व्हीलर और इलेक्ट्रिक थ्री व्हीलर के लिए तैयार की गई है। जिस पर सरकार की तरफ से अप्रैल से जुलाई 2024 तक 500 करोड़ रुपए का बजट रखा गया है। आईए जानते हैं योजना की पूरी डिटेल–
E-Transport Promotion Scheme 2024
ई परिवहन संवर्धन योजना की घोषणा भारी उद्योग मंत्री महेंद्र नाथ पांडे की तरफ से की गई। उनके अनुसार नरेंद्र मोदी सरकार ने देश में ई-परिवहन को बढ़ाने के लिए इस योजना की शुरुआत की है। इस योजना के तहत प्रत्येक दो पहिया वाहन के लिए सरकार की तरफ से ₹10000 की सहायता प्रदान की जाएगी। योजना का प्रमुख उद्देश्य है लगभग 3.3 दो-पहिया वाहनों को सहायता प्रदान करना। इतना ही नहीं इस योजना के तहत छोटे तिपहिया वाहनों की खरीद पर ₹25000 की आर्थिक सहायता दी जाएगी और लगभग 41000 से अधिक वाहनों को कवर किया जाएगा। सरकार की तरफ से बड़े तिपहिया वाहन की खरीद पर ₹50000 की वित्तीय मदद की जाएगी।
इलेक्ट्रॉनिक वाहन उद्योग को मिलेगा बढ़ावा
E-Transport Promotion Scheme 2024 इलेक्ट्रॉनिक वाहन उद्योग के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है। छोटे वाहनों के लिए ₹25000 और बड़े वाहनों के लिए ₹50000 की सब्सिडी सरकार की तरफ से प्रदान की जाएगी। इसके बाद तिपहिया और दो पहिया वाहनों की मांग में बढ़ोतरी हो सकती है। इससे न सिर्फ बिजनेस को लाभ होगा बल्कि ज्यादा से ज्यादा इलेक्ट्रिक वाहन की खरीदारी के फलस्वरुप वातावरण का प्रदूषण कम होने में मदद मिलेगी। ये योजना न सिर्फ उद्योगों के लिए एक तोहफा है, बल्कि वातावरण के लिए ये योजना एक वरदान साबित हो सकती है।
आईआईटी रुड़की के साथ हुआ समझौता
भारी उद्योग मंत्रालय और रुड़की के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान ने MOU पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। ये समझौता ज्ञापन (MOU) आटोमोटिव और इलेक्ट्रिक वाहन सेक्टर में इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए एक साथ मिलकर काम करने के संबंध में था। समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के समय भारी उद्योग मंत्री डॉ महेंद्र नाथ पांडे, भारी उद्योग मंत्रालय और उत्तराखंड राज्य के वरिष्ठ अधिकारी और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी उपस्थित थे। आपको बता दे कि इस योजना की कुल लागत 24.6645 करोड़ रुपए हो सकती है। भारी उद्योग मंत्रालय द्वारा इस योजना के लिए 19.8745 करोड़ रुपए का अनुदान दिया गया। साथ ही उद्योग के साझेदारों ने इस योजना में 4.78 करोड़ रुपए का योगदान दिया।