Patna Shuklla Movie Review: हमारा समाज आजादी के बाद लगभग सभी क्षेत्र में काफी आगे बढ़ा है. खुशी की बात ये है कि हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ महिलाएं भी कदम ताल मिलाती हुई आगे बढ़ रही हैं और समाज की सफलता में अहम भूमिका निभा रही है. निराशाजनक बात ये है कि आज भी हमारे समाज में ऐसी मानसिकता वाले लोग हैं जो औरतों को किचेन में काम करने लायक ही समझते हैं. वे आधुनिक दौर में महिलाओं को सफलता को नहीं देख पाते. डिज्नी हॉटस्टार पर रिलीज हालिया फिल्म पटना शुक्ला (Patna Shuklla) की कहानी कुछ ऐसी ही है.
Patna Shuklla: कहानी
पटना शुक्ला (Patna Shuklla) एक ऐसी महिला वकील की कहानी है जिसे न ही उसके घर वाले उसे वकील समझते हैं और न हीं कोर्ट में जज साहब. घर वालों की सोच ही तन्वी शुक्ला (किरदार का नाम) कोर्ट जाने के बजाय घर पर रहे और किचेन संभाले वहीं कोर्ट में जज साहब से उसे रेस्टोरेंट खोलने की सलाह मिलती है. लेकिन इसी बीच तन्वी यानी रवीना टंडन (Raveena Tandon) के पास एक केस आता है.
रिंकी कुमारी नाम की एक छात्रा का कहना है कि परीक्षा में उसके पेपर अच्छे गए लेकिन नंबर कम आए हैं. वो अपना पेपर फिर से चेक करवाना चाहती है क्योंकि ये एक बड़ा घोटाला है. रोल नंबर पर घोटाला है. इसी केस को लड़ती हैं तन्वी शुक्ला.
कैसी ही फिल्म?
फिल्म देश के करोड़ों स्टूटेंड्स की कहानी दर्शाती है. सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले अधिकांश छात्रों को लगता है कि उनके नंबर वैसे नहीं आए जैसी उन्हें उम्मीद थी. फिल्म ने इसी विषय पर केंद्रित है. कहानी बेहद साधारण और सीधे शब्दों में बिना किसी ताम झाम के लिखी गई है. ताकि हर वर्ग इससे खुद को जोड़ सके.
फिल्म में छात्रों की परेशानी के साथ आप उस महिला की परेशानी को भी समझ सकते हैं जिसे घर और ऑफिस दोनों संभालना होता है और उसके ऑफिस को तवज्जों नहीं दी जाती. उदाहरण के तौर पर जब वो केस जीतती है तो उसे बधाई देने और उसके लिए कोई पार्टी आयोजित करने के बदले उसका पति उससे कहता है कि आज ज्यादा खाना बना लेना मेरे दोस्त आने वाले हैं. फिल्म का यही पक्ष दर्शकों से उसे जोड़ता है.
अभिनय
रवीना टंडन (Raveena Tandon) एक कमाल की अभिनेत्री हैं और पटना शुक्ला (Patna Shuklla) में भी तन्वी शुक्ला के करिदार को उन्होंने बेहद खूबसूरती से निभाया है. उन्होंने जिस संजीदगी से हाउसवाउफ और वर्किंग वुमेन के करिदार में खुद को ढ़ाला है वो काबिले तारीफ है. घर पर घरवालों के लिए काम और कोर्ट में कानूनी दाव पेंच और उनकी दलीलें आपका दिल जीत लेती हैं.
रवीना टंडन (Raveena Tandon) इस फिल्म की यूएसपी हैं. रवीना के पति के किरदार में मानव विज और स्टूडेंट के किरदार में अनुष्का कौशिक ने अच्छा काम किया है. जतिन गोस्वामी और चंदन रॉस सान्याल ने भी अच्छा काम किया है. स्क्रीन पर सतीश कौशिक को देखना काफी सुकून देता हैं. ऐसा लगता है कि वे अभी भी हमारे बीच कहीं जिंदा हैं. विवेक बुडाकोटी और राजेंद्र तिवारी का डायरेक्शन अच्छा है. वे कहानी पर थोड़ा और काम कर सकते थे. फिर भी रवीना टंडन के लिए इस फिल्म को आप देख सकते हैं.
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